संदेश

फ़रवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अरुण कमल का संकलन "मैं वो शंख महाशंख" पढ़ते हुए

चित्र
अस्सी के दशक के बेहद महत्त्वपूर्ण कवि अरुण कमल के इस संकलन पर मैंने  परिकथा के लिए लिखा था जो बाद मे राजकमल प्रकाशन के न्यूज़ लेटर मे भी छपा। आज यहाँ  उनके जन्मदिन पर शुभकामनाओं के साथ  पीछे से ताक रही डूबती आँख के साथ चलते कदम... ·           अरुण कमल का हालिया संकलन ‘मैं वो शंख महाशंख’ पढ़ते हुए उनके पहले संकलन की शीर्षक कविता ‘अपनी केवल धार’ की याद आना स्वाभाविक है. वंचित कामगार वर्ग के लिए उनका यह विनीत और कृतग्य भाव उनकी पूरी काव्ययात्रा में बार-बार आया है , लेकिन यहाँ इस कविता में ही नहीं बल्कि कई अन्य कविताओं में भी इस कृतज्ञता की जगह एक सहयात्री का भाव है. अपनी तीन दशकों से लम्बी काव्ययात्रा के इस पड़ाव में उनका पहले से कहीं अधिक धैर्यवान और परिपक्व दिखना तो स्वाभाविक है, लेकिन इसके साथ वह जो पहले से अधिक उर्जावान, व्यग्र और धारदार दिख रहे हैं, वह विस्मित करने वाला है. इस संकलन का भावबोध और इसकी वैचारिकता ही नहीं, इसके शिल्प और भाषा की बहुरंगी चमक भी उस ऊर्जा का प्रत्यक्ष प्रमाण दे रही है, जो उनके कवि को लगातार सक्रिय ही नहीं बनाए हुए है बल्कि लगातार नए-नए क्षे

मृगतृष्णा की पाँच कविताएँ

चित्र
इस सदी के दूसरे दशक में ख़ासतौर से सोशल मीडिया के विस्तार के साथ स्त्री कवियों की एक पूरी खेप सामने आई है. जैसे वर्षों से दबी हुई अभिव्यक्तियाँ अचानक ज्वालामुखी के लावे सी बाहर आई हैं. कभी धधकती हुई, कभी अधपकी और कभी कला और भाषा की तमाम परिचित छवियों को नष्ट करती नवोन्मेष रचती. ज़ाहिर है इस भीड़ में नक़ली आवाज़ों की भी कमी नहीं, लेकिन उन्हें सामने रखकर खारिज़ करने की हडबडाहट की जगह आवश्यकता बहुत धीरज से इन्हें पढ़ने, समझने और इनकी परख के लिए नए नए औज़ारों की तलाश ज़रूरी है. मृगतृष्णा इसी भीड़ का हिस्सा भी हैं और इस भीड़ में पहचाना जा सकने वाली आवाज़ भी. उनकी कविताएँ एकदम हमारे समय की कविताएँ हैं जिनके दृश्य जाने पहचाने लगते हैं और एकदम से लगता है कि अब तक यह बात इस तरह से क्यों नहीं कही गई? इन्हें बोल्ड कह देना फिर एक सरलीकरण होगा. जिस भाषा में लिहाफ़ लिखी जा चुकी हो उसमें बोल्डनेस अपने आप में कोई मूल्य नहीं हो सकता. मृगतृष्णा की ये कविताएँ परम्परा और आधुनिकता के द्वंद्व के बीच एक बेकल युवा का हस्तक्षेप हैं. मैं असुविधा पर उनका स्वागत करते हुए ढेरों शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ. पत्