राकेश रोहित की छः कविताएँ
राकेश रोहित की कविताएँ मैंने अभी ब्लाग्स और फेसबुक पर ही पढ़ी हैं। वह काफी सक्रिय हैं और कविता को लेकर उनकी चिंताएँ भी अक्सर सामने आती रहती हैं हालाँकि ये चिंताएँ कविता के भीतर तक नहीं सीमित। राकेश भाषा को लेकर सजग हैं और विषयों की तलाश में अपने अगल बगल से लेकर देश दुनिया में भटकते हैं। असुविधा पर पहली बार प्रकाशित करते हुए मैं उनका स्वागत करता हूँ (आजकल हार्दिक के अर्थ बदल गए हैं ... तो सिर्फ स्वागत। ) और उम्मीद करता हूँ आगे भी उनका सहयोग मिलता रहेगा। जिजीविषा डूबने वाले जैसे तिनका बचाते हैं मैं अपने अंदर एक इच्छा बचाता हूँ। कहने वालों ने नहीं बताया नूह की नाव को यही इच्छा खे रही थी प्रलय प्रवाह में! संसार की सबसे सुंदर कविताएँ और बच्चे की सबसे मासूम हँसी इसी इच्छा के पक्ष में खड़ी होती हैं। आप कभी गेंद देखें और पास खड़ा देखें छोटे बच्चे को आप जान जायेंगे इच्छा कहाँ है! सुविधा और दिशा सड़क पर निकलते ही अपने रूट की खाली बस देखकर मैं चौंक गया भीड़ बिल्कुल नहीं थी कम लोग थे और खिड़की वाली सीट भी खाली थी। पर मैं उस पर चढ़ नहीं