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कोठागोई : क़िस्सागोई : जिन बाबू ने दिया रुपइया वो हैं मेरे दिल के अंदर/ मैं हूँ उनकी हेमा मालिनी वो मेरे धरमेंदर!

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प्रकाशन से पहले ही चर्चा में आ चुकी प्रभात रंजन की किताब क़िस्सागोई से एक हिस्सा पाठकों के लिए। किताब इसी महीने वाणी प्रकाशन से आनी है।  =============================== कौन नगर से पानी लाए कौन नगर से दाना कौन नगर का जोड़ा जामा कौने गाम ठिकाना जनकपुर से पानी लाए दरभंगा का दाना मधुबनी का जोड़ा जामा सरसिउ गाम ठिकाना   =============================== ‘ जे लागत से दियाई/ बाकी बाजत रसनचौकी... ’ बरसों लोग इस कहावत को दोहराते रहे। कहावतें शायद इसी तरह बनती हों और किस्से-कहानियों में ढलकर लोक का हिस्सा बनकर पीढ़ियों स्मृतियों में बची रह जाती हों। कहानी है माँ सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी से तीस कोस पश्चिम अदौरी गाँव की।  बाबू राम निहोरा सिंह की बेटी की शादी तय हुई नेपाल के धनुषा अंचल के वैदेही गाँव के जमींदार विंदेश्वर ठाकुर के एकलौते बेटे से तय हुई थी , लड़का कोलंबो प्लान से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था।  क्या कीजिएगा विषय के साथ विषयांतर हो ही जाता है। इस किस्से का ताल्लुक उसी शादी के किस्से से जुड़ा हुआ है। 40 साल से ऊपर हो गए होंगे। लेकिन भूले बिसरों को आज भी क