नीलेश रघुवंशी की कवितायें
नीलेश रघुवंशी की कविताएँ समंदर के बीच किसी पोत पर बैठकर बनाए गए रेखाचित्रों सी हैं, तूफ़ान के बीच से बयान तूफ़ान की कहानी सी और गहरे अँधेरे के बीच से रौशनी की तरह बिखरती आवाज़ों सी. जीवन के गहरे और त्रासद अनुभवों के बीच भी नीलेश उम्मीद और उल्लास के स्वर ढूंढ लेती हैं. उनकी कविताएँ एक तरफ गहन अनुभूति की कविताएँ हैं तो दूसरी तरफ जीवन की कुरूपता के ख़िलाफ़ प्रतिबद्धता की भी. स्त्री विमर्श के तुमुल कोलाहल में मुझे ये कविताएँ एक स्त्री की नज़र से जीवन के विविध पक्षों को सहज द्रष्टव्य के उस पार जाकर देखने की बेचैन कोशिश लगती हैं. हमारे आग्रह पर उन्होंने ये कविताएँ 'असुविधा' के लिए उपलब्ध कराईं जिसके लिए हम आभारी हैं. साथ ही हाल में ही उन्हें मिले 'स्पंदन कृति सम्मान' के लिए हमारी बधाईयाँ भी. चक्रः ग्यारह कविताएँ भूख का चक्र सबके हिस्से मजदूरी भी नहीं अब शरीर में ताकत नहीं तो मजदूरी कैसे ? छोटे नोट और सिक्के हैं चलन से बाहर पाँच सौ के नोट पर छपी पोपले मुँह वाली तस्वीर भी कई दिन से भूखी है ! प्यार का चक्र उ