मलयालम के सुप्रसिद्ध कवि वैलोपिल्ली श्रीधर मेनन की जन्म शताब्दी पर
मलयालम के सुप्रसिद्ध कवि वैलोपिल्ली श्रीधर मेनन (1911-1985) की जन्म-शताब्दी यह मलयालम के सुप्रसिद्ध कवि वैलोपिल्ली श्रीधर मेनन (1911-1985) का जन्म-शताब्दी वर्ष है। उनका जन्म 11 मई, 1911 को केरल के एरणाकुलम जिले के कलूर नामक ग्राम में हुआ था। वे पेशे से विज्ञान के अध्यापक थे तथा हाई स्कूल के हेड मास्टर के रूप में सेवा-निवृत्त हुए। विज्ञान के अध्यापक होने के कारण उनकी सोच में वैज्ञानिकता थी और उन्होंने अपनी कविताओं में इसी सोच को प्रतिपादित किया। वे मलयालम साहित्य के घोर छायावादी युग में यथार्थवादी कवित्ताएं लिखने वाले श्रेष्ठ कवि माने जाते हैं। उन्होंने अपनी एक कविता में कहा है कि वे जीवन के समुद्र को अपनी कविता लिखने वाली स्याही से भरी दवात मानते हैं। उनकी कविताओं में आधुनिक सौन्दर्य-बोध की स्पष्ट छाप थी। उनकी पंक्तियाँ, “चोरातुडिक्कुम चेरुकैय्युकले, पेरुका वन्नी पन्तङ्ङल” (फड़कते रक़्त वाली बाजुओं, चलो, आकर संभालो ये मशालें) केरल में आज भी किसी भी जनांदोलन में सबसे प्रमुखता से इस्तेमाल किए जाने वाले एक नारे के रूप में हर ज़ुबान पर रटी हुई हैं। उनकी 1952 में प्रकाशित लंबी कवि