हत्यारे
(एक) हत्यारा अब नहीं रहा रात के अंधेरों का मुहताज मुक्त अर्थव्यवस्था के पंचसितारा सैलून में सजसंवर कर निःसंकोच घूमता है न्याय की दुकानो से सत्ता के गलियारों तक नये चलन के बरअक्स पहन लिए हैं त्रिशूल के लाॅकेट और अपने हर शिकार को कहता है आतंकवादी! (दो) टूटते परिवारों के इस दौर में हत्यारों ने संभाल कर रखा है अपना परिवार एक हत्या करता है दूसरा उसे गिरफ़्तार करता है तीसरा अदालत में जिरह करता है चौथा बेगुनाही की गवाही देता है पांचवा उसे बाईज्ज़त बरी करता है और फिर सब मिलकर निकलते हैं शिकार पर! ( पेंटिंग गूगल से साभार)